फाल्गुन आया देख सखी री, पहले सा वो फा़ग नहीं.......Sunita Jain
10:43:00 AM
फाल्गुन आया देख सखी री,
पहले सा वो फा़ग नहीं.......
रिश्तों में आकार नहीं
मित्रता में मिठास नहीं
बेटी की मनुहार नहीं
प्रेम, तपस्या ,पूजा का
पहले सा अहसास नहीं
फागुन आया देख सखी री,
पहले जैसा फाग नहीं....
* रुपया का दाम नीचा है
दिखावे का सर ऊँचा है
भारत की अब शान कहाँ
त्यौहारों की आन कहाँ
ईर्ष्या, द्वेष की होड़ लगी
टेसू के रंग दिखें नहीं....
फागुन आया देख सखी री
पहले सा अब फा़ग नहीं.......
*घर भी गै़रों सा लगता है
सौना दिन-दिन चढ़ता है
पैसा न हो पास तेरे,
तो बाप पराया लगता है
ऋतु बेचारी मासूम भई,
वो मृदंग थाप औऱ ताल नहीं
अब खुशियों का गुलाल नहीं,
फागुन आया देख सखी री..
अब पहले सा वो फाग नहीं.......
#सुनीता..
पहले सा वो फा़ग नहीं.......
रिश्तों में आकार नहीं
मित्रता में मिठास नहीं
बेटी की मनुहार नहीं
प्रेम, तपस्या ,पूजा का
पहले सा अहसास नहीं
फागुन आया देख सखी री,
पहले जैसा फाग नहीं....
* रुपया का दाम नीचा है
दिखावे का सर ऊँचा है
भारत की अब शान कहाँ
त्यौहारों की आन कहाँ
ईर्ष्या, द्वेष की होड़ लगी
टेसू के रंग दिखें नहीं....
फागुन आया देख सखी री
पहले सा अब फा़ग नहीं.......
*घर भी गै़रों सा लगता है
सौना दिन-दिन चढ़ता है
पैसा न हो पास तेरे,
तो बाप पराया लगता है
ऋतु बेचारी मासूम भई,
वो मृदंग थाप औऱ ताल नहीं
अब खुशियों का गुलाल नहीं,
फागुन आया देख सखी री..
अब पहले सा वो फाग नहीं.......
#सुनीता..
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