होली का त्योहार हम मिलकर मनाते हैं खुशी का ये मोक़ा है ग़म भूल जाते हैं। Sunita jain

8:16:00 AM

आओ मिल के आते हैं......सुनीता जैन..
सराबोर होते हैं सबको मिल के आते हैं
एक-एक चुटकी रंग उनको भी लगाते हैं
*ऐसे भी तो लोग हैं जो भूखे सो जाते आओ उनके घर भी हम होली देआते हैं
पुरानी कुछ रंजिशों को थोड़ा भूल आते हैं
चलो आज होली है रूठे मनाते हैं
रिश्तों की गिरह आज चल के खोल आते हैं
अपने ही हैं वो भी गले मिल के आते हैं
हँसी की फुहारों से उनको भिगो आते हैं
एक हाथ उनका है एक हम मिलाते हैं
एकरूप हो जाएं सात रंग लगाते हैं
भेदभाव क्यों मन मैं बार-बार आते हैं
होली का त्योहार हम मिलकर मनाते हैं
खुशी का ये मोक़ा है ग़म भूल जाते हैं।
     Sunita jain
(Editor)
The Chandra Times(E-News)

  

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