ख़ुशी तो है मगर आँसू घटा बन कर बरसते है।-Pramod
11:15:00 AM
- Pramod Agrwal
ख़ुशी तो है मगर आँसू घटा बन कर बरसते है।
अब शहनाई भी गूँजे तो लगे बादल गरजते है।।
चली जाओगी साजन घर, हमको बहुत रुलाओगी।
भूलेंगे तुम्हे जितना, उतनी ही याद आओगी।।
दुआ है तुझको मेरी ये, वहा आँगन सजाओगी।
महकती अपनी खुश्बू से, ख़ुशी के फूल खिलाओगी।।
वो तेरी देखने को बेटा फिर, अठखेली तरसते है।
ख़ुशी तो है मगर आँसू, घटा बन कर बरसते है।।
ना आएगा वो मौसम, फिर दुबारा लोट के बेटी।
वो अल्हड़ शौख नटखटे, चञ्चल मस्तिया बेटी।।
वो तेरे रुठने का एक, वजह हलचल मचाती थी।
तू भाई को तेरी मस्ती, से कितना रह सताती थी।।
ये आँखे बन गई झरना, झर झर कर लरजते है।
ख़ुशी तो है मगर आंसू, घटा बन कर बरसते है
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