क्या वो बेचारी है, बस वो नारी है।- Sunita Jain

10:02:00 PM

........बस वो नारी है.............
बित्ते भर छाँव की तलाश,
 रही अपूर्ण!!!!!!
   महिला दिवस मनाकर,
  क्या सफर हुआ पूर्ण!!!!!
  न था, न है, न होगा,
  जब तक पूर्ण पर विराम होगा।
            कुछ सभाएं, कुछ आश्वासन
             कुछ विरोध, कुछ असम्मान
             सीमाओं में बंधे अधूरे सपने,
             समूची नारी टुकड़ों में बँटे.....
              किससे, कैसे सरोकार रखे।
घर में उपेक्षित, बाहर उपभोगी
सीलन भरे संवाद, अनचाहे अनुवाद
भेदती निग़ाहें, करतीं तार.....तार....
बंद करतीं आवाज़ बिन आधार....
क्या वो बेचारी है, बस वो नारी है।
      घर में पतिव्रता, बाहर उपभोगी,
        घर में भारतीय ,बाहर पश्चिमी
       घर में निभना है, बाहर जीना है
        पति संग रहना है, तरक्की पाना है
        कहाँ-कहाँ पर जगह बनाना है...
     अस्मिता बचानी है ,जीवन जीना है
     क्या वो अपराधी है, हाँ-हाँ वो नारी है
                         #सुनीता

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