अपनों का बंटवारा

12:05:00 AM



एक दीप हमारा देहरी उसकी
जग उजियारा खूब ही होगा!
ग़र दीवाली पर सेंवई खाऐं
भाईचारा क्या ही होगा!!
मस्जिद पर गीता पढ़ आएं
धर्म का झगड़ा कैसे होगा!!!
अपनों का बंटवारा छोड़ें
माँ का गौरव तभी बढ़ेगा !!!!
जन्मदाता घर में रह पाएं
घर का दरवाजा़ तभी हँसेगा!
कोई अनाथ घर ले आऐं
तुलसी का बिरवा तभी सजेगा!!
सियासत की आँधी क्या ख़ाक उड़ेगी
जब रसूक ए मोहब्बत अमन बनेगा!!!
Sunita jain..
(Editor-The Chandra Times)

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