शराफ़त का नकाब
4:19:00 PM
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शराफ़त का नकाब
शराफत के बाजार में , अक्सर ऐसे किरदार देखे ।
सफेदपोश भी , साफ दिल इंसानो से, खेलते देखे हैं ॥
फितरत कुछ ओर , नकाब पाशो की ओर हकीकत भी ।
खामोशी से हर घड़ी ,रंग बदलते उनके हमने देखे हैं ॥
दिल के साफ कह जाते हैं, अक्सर ..सच सब कुछ ।
मगर , खामोशजुबां के सच को, जूठ में बदलते देखा हैं ॥
ओर की तरह, शराफ़त की कसम , न खा सकेंगे ।
अक्सर चुप रहने वालो के दिल में , इक चोर देखा हैं ॥
हमने भी पढा ..जनाब , वो ! चेहरा शराफ़त का ।
शराफ़त का नकाब लिये , नज़रों के हज़ार वार देखे हैं ॥
Reena Singh Gahlot
(writer)
(www.chandratimes.in)
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शराफ़त का नकाब
शराफत के बाजार में , अक्सर ऐसे किरदार देखे ।
सफेदपोश भी , साफ दिल इंसानो से, खेलते देखे हैं ॥
फितरत कुछ ओर , नकाब पाशो की ओर हकीकत भी ।
खामोशी से हर घड़ी ,रंग बदलते उनके हमने देखे हैं ॥
दिल के साफ कह जाते हैं, अक्सर ..सच सब कुछ ।
मगर , खामोशजुबां के सच को, जूठ में बदलते देखा हैं ॥
ओर की तरह, शराफ़त की कसम , न खा सकेंगे ।
अक्सर चुप रहने वालो के दिल में , इक चोर देखा हैं ॥
हमने भी पढा ..जनाब , वो ! चेहरा शराफ़त का ।
शराफ़त का नकाब लिये , नज़रों के हज़ार वार देखे हैं ॥
Reena Singh Gahlot
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