शराफ़त का नकाब

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                        शराफ़त का  नकाब

शराफत  के बाजार  में , अक्सर ऐसे  किरदार देखे ।
 सफेदपोश भी , साफ दिल  इंसानो से, खेलते  देखे  हैं ॥

फितरत  कुछ ओर , नकाब पाशो की ओर हकीकत भी  ।
खामोशी से हर घड़ी ,रंग  बदलते उनके हमने  देखे हैं ॥

 दिल के साफ कह जाते  हैं, अक्सर  ..सच  सब  कुछ ।
 मगर , खामोशजुबां  के सच  को,  जूठ में बदलते देखा हैं ॥

 ओर की तरह,  शराफ़त की कसम , न  खा सकेंगे  ।
 अक्सर चुप  रहने वालो के दिल  में , इक चोर देखा  हैं  ॥

  हमने भी पढा ..जनाब ,  वो !   चेहरा शराफ़त  का ।
  शराफ़त का नकाब लिये , नज़रों के हज़ार वार देखे  हैं ॥

Reena Singh Gahlot
(writer)
(www.chandratimes.in)

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