मौहब्बत हो गयी है उन्हें... शालिनी 'कशिश'
9:07:00 AM
रात चाँदनी के दामन से छिटककर
कुछ शबनमी कतरे..
मेरे आंगन में झरे थे,
बीन लाई उनमें से ही कुछ ...
रात अपनी नज्मों में जड़े थे..
लफ़्जों को भी नम किये थे,
पड़े रह गये थे वहीं शायद कुछ- एक,
सुबहे देखा , मेरे गालों में जमे थे ,
उहं... पागल हैं बिल्कुल..
कहते हैं मुझसे बेतरह
मौहब्बत हो गयी है उन्हें...
हाँ... वही शबनमी कतरे
जो कल मेरे आंगन में झरे थे........
शालिनी 'कशिश'
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कुछ शबनमी कतरे..
मेरे आंगन में झरे थे,
बीन लाई उनमें से ही कुछ ...
रात अपनी नज्मों में जड़े थे..
पड़े रह गये थे वहीं शायद कुछ- एक,
सुबहे देखा , मेरे गालों में जमे थे ,
उहं... पागल हैं बिल्कुल..
कहते हैं मुझसे बेतरह
मौहब्बत हो गयी है उन्हें...
हाँ... वही शबनमी कतरे
जो कल मेरे आंगन में झरे थे........
शालिनी 'कशिश'
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