Sunita Jain Poems-माँ
4:47:00 AM
माँ मेरी क्यों छोड़के तू,
भगवान के घर को जाती है
जब आँखें बंद मैं करती हूँ,
तू याद बहुत ही आती है......
गुरु कहते जो माँगो तुझसे,
सब कुछ ही मिल जाता है
मेरी माँ मुझे वापिस दे दे
औऱ कुछ नहीं दिल चाहता है
सब मित्रों की माँ तो उनको,
हर दिन गले लगाती है
आँखें बंद में ही बस तू तो
मेरा सर सहलाती है.........
आँचल का पल्लू वो तेरा
तेरी याद दिलाता है........
बिंदिया से सजा वो चेहरा
घिर-घिर कर दिख जाता है....
भगवान से मेरा प्रश्न है क्यों तू
माँ को ही ले जाता है...!!!!!!
भगवान के घर को जाती है
जब आँखें बंद मैं करती हूँ,
तू याद बहुत ही आती है......
गुरु कहते जो माँगो तुझसे,
सब कुछ ही मिल जाता है
मेरी माँ मुझे वापिस दे दे
औऱ कुछ नहीं दिल चाहता है
सब मित्रों की माँ तो उनको,
हर दिन गले लगाती है
आँखें बंद में ही बस तू तो
मेरा सर सहलाती है.........
आँचल का पल्लू वो तेरा
तेरी याद दिलाता है........
बिंदिया से सजा वो चेहरा
घिर-घिर कर दिख जाता है....
भगवान से मेरा प्रश्न है क्यों तू
माँ को ही ले जाता है...!!!!!!
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