हर कोई यहाँ अपने भीतर इतिहास छुपाए बैठा है - साहिल
10:05:00 AM
हर कोई यहाँ अपने भीतर इतिहास छुपाए बैठा है
कोई मिल्ख, कोई श्रेया, कोई लालबहादुर बैठा है
साहब बन कर बेटा तुमको पैसा खूब कमाना है
इस भ्रम में आकर बच्चा असली किरदार छुपाए बैठा है
चोटिल अंगो को भूल कर पथ का अपने ध्यान रहे
घर अपने ख्याल रहे मकशद का अपने ध्यान रहे
चलो सिनेमा चलते हैं उसके उत्तर में कहता है
चूल्हा फूंकती माँ का चेहरा आँखों में संजोए बैठा है।
चलते चलते रस्ते में एहसान किसी का मत लेना
रूखी रोटी खा लेना नमक उधार भी मत लेना
मास्टर साहब मासूमों से कोईभेदभाव न करना
मान के चलना मासूमों में आपका बच्चा बैठा है
हर कोई यहाँ अपने भीतर इतिहास छुपाए बैठा है
कोई मिल्ख, कोई श्रेया, कोई लालबहादुर बैठा है ।
कोई मिल्ख, कोई श्रेया, कोई लालबहादुर बैठा है
साहब बन कर बेटा तुमको पैसा खूब कमाना है
इस भ्रम में आकर बच्चा असली किरदार छुपाए बैठा है
चोटिल अंगो को भूल कर पथ का अपने ध्यान रहे
घर अपने ख्याल रहे मकशद का अपने ध्यान रहे
चलो सिनेमा चलते हैं उसके उत्तर में कहता है
चूल्हा फूंकती माँ का चेहरा आँखों में संजोए बैठा है।
चलते चलते रस्ते में एहसान किसी का मत लेना
रूखी रोटी खा लेना नमक उधार भी मत लेना
मास्टर साहब मासूमों से कोईभेदभाव न करना
मान के चलना मासूमों में आपका बच्चा बैठा है
हर कोई यहाँ अपने भीतर इतिहास छुपाए बैठा है
कोई मिल्ख, कोई श्रेया, कोई लालबहादुर बैठा है ।
~ साहिल
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